कौषितकि उपनिषद्

 कौषितकि उपनिषद्

कौषितकि उपनिषद्

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यह 'शाखायन' आरण्यक का अंश है। अध्याय 3 से 6 तक चार अध्याय कौषीतकि उपनिषद् है। इसमें 4 अध्याय हैं ।

  • प्राणस्य ब्रह्मणो मनो दूतम् । (प्राण ब्रह्म है)
  • उक्थं ब्रह्म। स एष त्रयीविद्याया आत्मा ( मंत्रशक्ति ब्रह्म है)
  • ब्रह्म दीप्यते यन्मनमा ध्यायति । (ब्रह्म की शक्ति से सभी इन्द्रियों में शक्ति)
  • यो वै प्राणः सा प्रजा, या वा प्रज्ञा स प्राणः । (प्राण, प्रज्ञा महत्व)

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उपनिषद् साहित्य :-

11 श्वेरश्वेतर