माण्डूक्य उपनिषद्

 माण्डूक्य उपनिषद्

माण्डूक्य उपनिषद्

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इस उपनिषद में 12 वाक्य या खंड हैं। इसमें बताया गया है कि यह सारा संसार, वर्तमान भूत और भविष्यत् सब कुछ 'ओम्' की ही व्याख्या है । ओम् के अतिरिक्त और कुछ नहीं है । ओम् के एक-एक अक्षर अ उ म् की विभिन्न अवस्थाओं के फलस्वरूप सृष्टि के विभिन्न रूप हैं । वेदान्त की मूल भावना इस उपनिषद् में प्राप्त होती है ।

  • अयमात्मा ब्रह्म।

ओम् की व्याख्या

ओम् की मात्रा अवस्था - 

अ - जागरित

 उ - स्वप्न 

म् सुषुप्ति - 

तुरीय 

आत्मा स्वरूप  

वैश्वानर 

तैजस 

प्राज्ञ 

अद्वैत शिव 

विषय

स्थूलभुक् (स्थूल) 

प्रविविक्तभुक् (सूक्ष्म) 

आनन्दभुक् (आनन्द) 

अवर्णनीय


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उपनिषद् साहित्य :-

11 श्वेरश्वेतर