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संस्कृत-ज्ञानस्य अनुक्रमणिका

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मित्र - सुभाषित - संस्कृत सुभाषित

मित्र - सुभाषित - संस्कृत सुभाषित

मित्र - सुभाषित - संस्कृत सुभाषित

" मित्र " यह एक ऐसा शब्द हे जिसको सुनते ही मनमे विश्वास , प्रेम , आनंद जैसे भाव उभरने लगते हे। आज के इस समय में मित्रता परिवार , भाई आदि सम्बन्धो से भी ऊपर हे।  यह एक ऐसा सम्बन्ध हे जो एक अनजान व्यक्ति को अपना बना लेता हे , पर कभी कभी ऐसी घटनाये होती जो मित्रता पर लांछन लगा जाती हे। 
मित्र - सुभाषित 【संस्कृत सुभाषित】[sanskrit subhashit on friends]

सच्ची मित्रता किसी होनी चाहिए इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें भगवान श्री कृष्ण ने दिया , श्री राम ने दिया यह उदाहरण हमें बताते हे की सच्ची मित्रता में कोई ऊंच नीच का भेद नहि रहता , इसमें कोई अपेक्षा भी नहीं रहती। ..चलिए देखते हे की शास्त्रों में इस बारे में हमारे शास्त्रों में क्या कहा हे मित्र सुभाषित के माद्यम से जानते हे की सच्ची मित्रता को कैसे परखते हे। ... 

-: सुभाषित :-



१ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

चन्दनं शीतलं लोके
 चंदनादपि चंद्रमा: ।
 चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये
 शीतला साधुसंगत: ।।
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ बताया गया हे की चन्दन जो हे वह शीतल होता हे वह ओरो को भी शीतलता प्रदान करता हे। वैसे ही चन्द्रमा तो चन्दन से भी शीतल होता हे , आगे कहते हे की चन्दन और चंद्र की बिच में सच्ची मित्रता हे जो सतसंगति हे वह इन दोनों से अधिक शीतलता प्रदान कराती हे।एक सच्चा मित्र ही अपने मित्र के दुखो को समाज कर उसे शीतलता रूप सहायता करता हे।

Sanskrit_gyan


२ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

अलसस्य कुतो विद्या ,
 अविद्यस्य कुतो धनम् ।
 अधनस्य कुतो मित्रम् ,
 अमित्रस्य कुतः सुखम् ।।
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ सुख की कामना करने वालो को आलस्य का त्याग करने को बताया गया हे क्योकि जो व्यक्ति प्रमादी (आलसी ) हे उसे अपनी आलाश्यता के कारन विद्या की प्राप्ति नही हियति हे, और जो विद्याहिन् हे उसे धनकी प्राप्ति नहीं होती हे। धनहीन व्यक्ति के कोई मित्र नहीं होते हे। जिसके मित्र नहीं हे उसे सुख नहीं हे।

Sanskrit_gyan


३ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

न कश्चित् कस्यचिन्मित्रं,
 न कश्चित् कस्यचित् रिपु:।
 अर्थतस्तु निबध्यन्ते,
 मित्राणि रिपवस्तथा॥
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ पर व्यावहारिक मित्रता की बात कही गई हे, कहते हे की जन्मसे कोई किसीका भी शत्रु या फिर कोई किसीका मित्र नहीं होता हे , किसीने किसी प्रयोजन से या कार्य वश मित्र या शत्रु बनाते हे। या अपने अच्छे या बुरे व्यवहार से मित्र या शत्रु बनाते हे।

Sanskrit_gyan


४ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

मृगा मृगैः संगमुपव्रजन्ति
 गावश्च गोभिस्तुरगास्तुरंगैः।
 मूर्खाश्च मूर्खैः सुधयः सुधीभिः
 समानशीलव्यसनेषु सख्यं॥
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ पर बताया हे की कोई मित्रता ऐसे ही नहीं हो जाती मनुष्य हो या पशु हो या कोई भी जिव हो उनकी मित्रता उनके सामान गुणों या गुणधर्मो वालो से होप्ती हे। जैसे कोई मृग हे तो उसकी ,मित्रता मृग के साथ होती हे गाय की गाय के साथ , अश्व की अश्व के साथ , कोई मुर्ख हे तो उसकी मित्रता मुर्ख के साथ होती हे वैसे ही बुद्धिशाली लोगो की मित्रता बुद्धिशाली लोगो के साथ होती हे। इस तरह मित्रता सामान गुण, आचरण, आदतों वालो के साथ होती हे।

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५ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

वनानि दहतो वन्हेः
 सखा भवति मारुतः।
 स एव दीपनाशाय
 कृशे कस्यास्ति सौहृदम्।।
हिंदी भावार्थ:-
 जैसे वन में लगी आग का साथी पवन (मारुत) होता है वह अग्नि का साथ देकर उसे बढ़ाता है पर वही अग्नि घर के दिये में भी है पर यहा वायु के वहन से दिया बुझ जाता है कहने का तात्पर्य है कि जबतक हम बलवान होते है तबतक वायु जैसे मित्र साथ देते है पर निर्बल होने पर मित्र भी शत्रु बन जाता है।।

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६ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

माता मित्रं पिता चेति
 स्वभावात् त्रतयं हितम् ।
 कार्यकारणतश्चान्ये षो
 भवन्ति हितबुद्धय: ।।
हिंदी भावार्थ:-
 मनुष्य का सच्चे हृदय से हित सोचने वाले माता ,पिता , मित्र यह तीन ही होते है, हमे क्या करना चाहिये कैसे करना चाहिए ये मार्गदर्शन करते है ।।

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७ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

शुचित्वं त्यागिता शौर्यंयं
 सामान्यं सुखदु:खयो: ।
 दाक्षिण्यञ्चानुरागश्च
 सत्यता च सुहॄद्गुणा: ।।
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ पर मित्र के सात गुण बताये हे कहते हे , 1. प्रमाणिकता , 2. त्यागभावना ,3. शूरता , 4. मित्र के सुख -दुख में सामान भाव , 5. दक्षता , 6. मित्र के प्रति प्रेम भाव , 7. सत्यता (विश्वास ) यह सात गुण हरे सच्चे मित्र के।

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८ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

गुणवान् वा परजन:
 स्वजनो निर्गुणोपि वा ।
 निर्गुण: स्वजन: श्रेयान्
 य: पर: पर एव च ।।
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ पर कहा गया हे की यदि मित्र निर्गुणी हे तब भी अच्छा हे क्युकी गुणयुक्त शत्रु से तो वह अच्छा हे। और शत्रु तो आखिर शत्रु हे निर्गुण होते हुवे भी वह मित्र श्रेयस्कर होता हे।

Sanskrit_gyan


९ संस्कृत ज्ञान सुभाषितम् :-

परोक्षे कार्यहंतारं
 प्रत्यक्षे प्रियवादिनं ।
 वर्जयेत्तादृशं मित्रं
 विषकुंभं पयोमुखम् ॥
हिंदी भावार्थ:-
 यहाँ पर बहोत ही उपयोगी उदहारण के साथ मित्र को पहचानने के लिए सुभाषित दिया हे , कहते हे की जो मित्र आपने सामने प्रिय बोले और आपके जाने के बाद किसी और के सामने आपकी निंदा करे ऐसे मित्र का त्याग करने में ही बुद्धिमानी हे। क्योकि ऐसे मित्र विष के उस घड़े के सामान हे जहां ऊपर तो दूध दिखता हे पर जिसके अंदर विष भरा हुआ हे।


FAQS FOR FRIENDS : 

(1) क्या मित्रहीन व्यक्ति को सुख नहीं मिलता ? 
जो व्यक्ति प्रमादी (आलसी ) हे उसे अपनी आलाश्यता के कारन विद्या की प्राप्ति नही हियति हे, और जो विद्याहिन्  हे उसे धनकी प्राप्ति नहीं होती हे।  धनहीन व्यक्ति के कोई मित्र नहीं होते हे।  जिसके मित्र नहीं हे उसे सुख नहीं हे।


(2) मित्रता किसके साथ करनी चाहिए ?
   मृग मृगों के साथ, गाय गायों के साथ, घोड़े घोड़ों के साथ, मूर्ख मूर्खों के साथ और बुद्धिमान ◆बुद्धिमानों के साथ रहते हैं; समान आचरण और आदतों वालों में ही मित्रता होती है।

(3) मित्र के गुण या लक्षण क्या है ?
शुचिता (प्रामाणिकता), त्याग (औदार्य), शौर्य,◆ सुख-दुःख में समरस होना, दक्षता, प्रेम, और सत्यता ◆– ये मित्र के सात गुण हैं।

(4) क्या सहीमे आपको मित्र बोलने वाला आपका सच्चा मित्र है ?
  जो मित्र आपने सामने प्रिय बोले और आपके जाने के बाद किसी और के सामने आपकी निंदा करे ऐसे मित्र का त्याग करने में ही बुद्धिमानी हे।


मम विषये! About the author

ASHISH JOSHI
नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi) स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत | कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910

13 टिप्पणियां

  1. Learn Physics Easily
    Learn Physics Easily
    very good subhashit
    subhashit-for-knowledge
  2. Unknown
    Unknown
    वाह बहोत सुंदर सहिमे आपने बहोत उपयोगी सुभाषित यह दिए है
  3. Niraj joshi
    Niraj joshi
    बहुत सुंदर सुभषित है
  4. Unknown
    Unknown
    Good work
  5. Niraj joshi
    Niraj joshi
    Good
  6. Unknown
    Unknown
    Nice
  7. Learn Physics Easily
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    good
  8. सागर
    सागर
    Good
    1. Unknown
      Unknown
      Class,11,ka,8path ka bhej do
  9. बेनामी
    Nice
  10. Unknown
    Unknown
    Nice subhashit
  11. बेनामी
    बहुत बढ़िया नॉलेज दिया है। साथ ही सभी संस्कृत सुभाषित बहुत ही अच्छी तरह से जोडकर रख्खा है🙏🏻👍🏻
  12. Unknown
    Unknown
    👌👍
आपके महत्वपूर्ण सुझाव के लिए धन्यवाद |
(SHERE करे )