"दानेन तुल्यं सुहृदोस्ति नान्यो" संस्कृत भाषा की सेवा और विस्तार करने के हमारे इस कार्य में सहभागी बने और यथाशक्ति दान करे। About-Us Donate Now! YouTube Chanel

ऋग्वैदिक उषस् सूक्त

ऋग्वैदिक उषस् सूक्त
Please wait 0 seconds...
click and Scroll Down and click on Go to Download for Sanskrit ebook
Congrats! Link is Generated नीचे जाकर "click for Download Sanskrit ebook" बटन पर क्लिक करे।

ऋग्वैदिक उषस् सूक्त

उषस् सूक्त (3.61) 

ऋषि- वशिष्ठ, सूक्त- 20,

उषो वाजेन वाजिनि प्रचेता स्तोमं जुषस्व गृणतो मघोनि । 

पुराणी देवि युवतिः पुरंधिरनु व्रतं चरमि विश्ववारे ॥ 1 ॥ 

उपो देव्यमर्त्या वि भाहि चन्द्ररथा सूनृता ईरयन्ती । 

आ त्वा वहन्तु सुयमासो अश्वा हिरण्यवर्णां पृथुपाजसो ये ॥2॥ 

उषः प्रतीची भुवनानि विश्वोर्ध्वा तिष्ठस्यमृतस्य केतुः । 

समानमर्थं चरणीयमाना चक्रमिव नव्यस्या ववृत्स्व ॥3॥ 

अव स्यूमेव चिन्वती मघोन्युषा याति स्वसरस्य पत्नी । 

स्वर्जनन्ती सुभगा सुदंसा आन्ताद्दिवः पप्रथ आ पृथिव्याः ॥4॥ 

अच्छा वो देवीमुषसं विभातीं प्र वो भरध्वं नमसा सुवृक्तिम् । 

ऊर्ध्वं मधुधा दिवि पाजो अश्रेत्प्ररोचना रुरुचे रण्वसंदृक् ॥5॥ 

ऋतावरी दिवो अर्कैरवोध्या रेवती रोदसी चित्रमस्थात । 

आयतीमग्न उषसं विभातीं वाममेषि द्रविणं भिक्षमाणः ॥ 6 ॥

 ऋतस्य बुध्र उषसामिषण्यन्वृषा मही रोदसी आ विवेश । 

मही मित्रस्य वरुणस्य माया चन्द्रेव भानुं वि दधे पुरुत्रा ॥ 7 ॥

उषस् सूक्त शब्दार्थ

वाजः- अन्न, 

प्रचेताः- प्रकृष्ट ज्ञान वाली, 

स्तोमम् - स्तोत्र, 

जुषस्व - ग्रहण करना, 

गृणतः- स्तुति करने वाला, 

पुराणी- पुरातनी, 

पुरंधिः - बुद्धिशालिनी, 

चन्द्ररथा- सुवर्णमय रथ पर आरुढ़, 

सूनृता- प्रिय सत्य वाणी, 

ईरयन्ती- उच्चारण करती हुई, 

पृथुपाजस - अधिक बलशाली, 

मघोनी- धन सम्पत्ति-शालिनी, 

पाजः- तेज / बल, 

मधुधा - स्तुति, 

रेवतीधन - से युक्त, 

अर्क - तेजःपुञ्ज (अव स्यूमेव चिन्वती) 

स्यूम - वस्त्र,

प्रमुख सन्दर्भ उषस् सूक्त 

  • ('उच्छतीति उषस्' यास्क) । 
  • उषा अमरत्व का प्रतीक है- 'अमृतस्य केतुः ।

विशेषण- ऋतावरी, अश्ववती, गवामाता, हिरण्यवर्णा, चित्रामघा, मघोनी, प्रचेताः, विश्ववारा, सुभगा, सुजाता, अन्तिवामा, रेवती, गोमती, अह्नानेत्री, पुराणी युवतिः, दिवः दुहिता, सुदृशीकसंहक, अमृत्यकेतुः, भास्वती, अमृता अर्जुनी, अरुषा, सप्रतीका, भद्रा, मूनरी, मुनृतावती, ऋतपा, चन्द्रस्था, नवयौवन नर्तकी, प्रचेता ।


UGC - net सम्पुर्ण संस्कृत सामग्री कोड - २५ पुरा सिलेबस

ऋग्वेदः 


About the Author

नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi) स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत | कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910

एक टिप्पणी भेजें

आपके महत्वपूर्ण सुझाव के लिए धन्यवाद |
(SHERE करे )
Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.