karmakand free pdf download | कर्मकांड की पुस्तक pdf | आशा है की आपको यह पुस्तकें उपयोगी हो , संस्कृत के प्रसार एवं आवश्यकता वाले व्यक्ति तक पहोचाए आगे शेयर जरुर करे। यहा पर आपकी इच्छित पुस्तक न हो तो कृपया comment बॉक्स में पुस्तक का नाम जरूर लिखे हम पूरा प्रयास करेंगे कि आपको वह पुस्तक उपलब्ध कराए । यदि आपके पास इस विषय पर अन्य पुस्तक(pdf) हो और आप हमारे माध्यम से लोगोको शेयर करना चाहे तो 9662941910 व्हाट्सएप अथवा ashishjjoshi0@gmail.com पर भेजने की कृपा अवश्य करे । हम आपके आभारी रहेंगे । हम एक सरल संस्कृत पढाने के लिए यह सीरीज़ चला रहे है लिंक पर क्लिक कर हमारे साथ जुड़ सकते है । हम एक सरल संस्कृत पढाने के लिए यह सीरीज़ चला रहे है लिंक पर क्लिक कर हमारे साथ जुड़ सकते है । https://youtu.be/-3SDueR3ST4
jyotish free pdf download | ज्योतिष&वास्तु बुक्स लिस्ट | आशा है की आपको यह पुस्तकें उपयोगी हो , संस्कृत के प्रसार एवं आवश्यकता वाले व्यक्ति तक पहोचाए आगे शेयर जरुर करे। यहा पर आपकी इच्छित पुस्तक न हो तो कृपया comment बॉक्स में पुस्तक का नाम जरूर लिखे हम पूरा प्रयास करेंगे कि आपको वह पुस्तक उपलब्ध कराए । यदि आपके पास इस विषय पर अन्य पुस्तक(pdf) हो और आप हमारे माध्यम से लोगोको शेयर करना चाहे तो 9662941910 व्हाट्सएप अथवा ashishjjoshi0@gmail.com पर भेजने की कृपा अवश्य करे । हम आपके आभारी रहेंगे । गूगल ड्राइव में pdf कैसे download करे देखे हमारी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब जरूर करे :- https://youtu.be/lcUrObs2H6U free pdf for jyotish अंक ज्योतिष-1 : - Download
संस्कृत ज्ञान
यहाँ पर आपको संस्कृत भाषा के वेद , व्याकरण , सुभाषित , कथा , साहित्य आदि सभी विषयो के ज्ञान को (संस्कृत , हिंदी , गुजरती एवं अंग्रेजी भाषाओ में ) प्रस्तुत , प्रकाशित एवं उपलब्ध कराया जायेगा |
यदि आप संस्कृत अनुरागी हे और आप संस्कृत के विकास हेतु कार्य कर रहे हे तो हमारे कार्य को आगे बढ़ाये इस ज्ञान को सब में बाटे , इसे ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये (SHERE करे ) | धन्यवाद ||
"दानेन तुल्यं सुहृदोस्ति नान्यो" संस्कृत भाषा की सेवा और विस्तार करने के हमारे इस कार्य में सहभागी बने और यथाशक्ति दान करे। About-UsDonate Now!YouTube Chanel
click and Scroll Down and click on Go to Download for Sanskrit ebook
Congrats! Link is Generated नीचे जाकर "click for Download Sanskrit ebook" बटन पर क्लिक करे।
ऋग्वेद का सम्पूर्ण परिचय
ऋग्वेद किसे कहते है ?उसकी व्याख्या क्या है ? मुख्यऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अर्थर्ववेद इन सबमे सबसे प्राचीन और प्रथम वेद और ग्रन्थ ऋग्वेद हे। तो जानते है व्याकरण की दृष्टि से ऋग्वेद की व्युत्पत्ति कुछ इस प्रकार से है " ऋच्यते स्तूयते यया सा ऋक्" जिसमे ऋचाओ के द्वारा किसीकी स्तुति हो वह ऋक् है । ओर ऐसी ऋचाओं का समूह ही ऋग्वेद है। एक ओर व्याख्या है जो मीमांसक के मत से है- "यत्रार्थवशेन पादव्यवस्था सा ऋगिति " अर्थात् जहा पर अर्थ के वश में पाद व्यवस्था है वह ऋक् है ।
‘ऋक्' का अर्थ स्तुतिपरक मन्त्र हैं- "ऋच्यते स्तूयतेऽनया इति ऋक्”। जिन मन्त्रों के द्वारा देवों की स्तुति की जाती है, उन्हें (ऋक्, ऋच्, ऋचा) कहते हैं। ऋग्वेद में विभिन्न देवों की स्तुति वाले मंत्र हैं, अतः इसे ऋग्वेद कहते हैं। ऋग्वेद में ब्रह्मप्राप्ति, वाक्तत्व या शब्द ब्रह्म की प्राप्ति, प्राण या तेजस्विता की प्राप्ति अमरत्व के साधन तथा ब्रह्मचर्य के द्वारा ओजस्विता आदि का वर्णन है। ऋचा तीन प्रकार की होती है
(1) परोक्षकृत, (2) प्रत्यक्षकृत, (3) आध्यात्मिक।
ऋग्वेद का मुख्य विवरण :-
ऋग्वेद की कितनी शाखा हे ?
महाभाष्य में ऋग्वेद की (21) शाखाएं वर्णित है। 'एकविंशतिधा बाह्वच्यम्' - (महर्षि पतंजलि 150 ई.पू.)
(2) वाष्कल - यह शाखा उपलब्ध नहीं है। (1025) सूक्त 8 अधिक शाकल में। बाष्कल शाखा के रचयिता- 'सुयज्ञ' ।
(3) आश्वलायन - यह संहिता और इसका ब्राह्मण सम्प्रति उपलब्ध नहीं है। इस शाखा के श्रौतसूत्र और गृह्यसूत्र ही उपलब्ध हैं।
(4) शांखायन - यह उपलब्ध नहीं है। इसके ब्राह्मण, आरण्यक, और श्रौतसूत्र प्राप्त हैं।
(5) माण्डूकायनी - यह शाखा संप्रति अप्राप्य है। चरणव्यूह के रचयिता- शौनक हैं।
ऋग्वेद विभाजन के दो प्रकार
(1) अष्टक, अध्याय, वर्ग, मंत्र
(2) मंडल, अनुवाक, मृक्त, मंत्र
1. अष्टक क्रम
पूरे वेद में आठ भाग हैं जिन्हें (अष्टक) कहा जाता है। प्रत्येक अष्टक में आठ अध्याय हैं। इस प्रकार ऋग्वेद में सम्पूर्ण (64) अध्याय हैं । प्रत्येक अध्याय में वर्गों की संख्या भिन्न है।
(अष्टक = 8, अध्याय = 64, वर्ग = 2024, मंत्र = 10580 ) ऋग्वेद में बालखित्य मूक्तों सहित= 1028 सूक्त हैं।
इन तीनों तत्वों के समन्वय से ब्रह्म की प्राप्ति होती है। ‘कितव' सूक्त- ऋग्वेद में है।
‘ऋक्लक्षण' शौनक का ग्रन्थ है।
मंत्रद्रष्टा ऋषिकाएं =
ऋग्वेद ऋषिकाएँ = 24 (224 मंत्र)
अथर्ववेद ऋषिकाएँ = 5 (198 मंत्र)
24+5 (29), 224+198=422 सम्पूर्ण ऋ.म.सं.।
ऋग्वेद में प्रमुख (20) छन्द हैं जिनमें ( 7 ) छन्दों का मुख्य रूप से उपयोग हुआ है।
(1) गायत्री (24)
(2) उष्णिक (28)
(3) अनुष्टुप (32)
(4) बृहती (36)
(5) पनि (40)
(6) त्रिष्टुप ( 44 )
(7) जगती (48)
ऋग्वेद के महत्वपूर्ण सूक्त
(1) पुरुषसूक्त (10/90)
यह चारो वेदों में है। इसमें परमात्मा के विगट रूप का वर्णन तथा समस्त सृष्टि का वर्णन है। यह सूक्त अपनी उदात्त भावना, दार्शनिकता, भाव गांभीर्य और अन्तर्दृष्टि के लिये विख्यात है।
पुरुष एवेद सर्वम् (ऋ. 10-10-2)
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद (ऋ. 10.10-12)
(2.) नासदीयसूक्त ( 10/129)
यह सूक्त वैदिक ऋषियों के प्रतिभा ज्ञान और अलौकिक दार्शनिक चिन्तन का परिचायक है। सृष्टि से पूर्व केवल संकल्प काम उत्पन्न हुआ।
(3) हिरण्यगर्भ सूक्त- ( 10/121) - प्रजापति ऋषि।
यह (10) मंत्रों में विभक्त है । प्रजापति सृष्टिआरम्भ में हिरण्यगर्भ सुवर्ण पिण्ड के रूप में प्रकट हुआ वही सृष्टि का नियामक भी है।
हिरण्यगर्भ समवर्तवाग्रे (ऋ. 10-121-1)
य आत्मदा बलदा (ऋ. 10-121-21)
कस्मै देवाय हविषाविधेम।
(4) अस्य वामीय सूक्त (10/164) (52 मंत्र)
इसमें दर्शन, अध्यात्म मनोविज्ञान, भाषाविज्ञान, ज्योतिष भौतिक विज्ञान सम्बन्धी तथ्य वर्णित हैं। भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों द्वारा इस सूक्त को अत्यन्त क्लिष्ट और दुर्बोध माना गया है।
इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहु.. .......(मं. 46),
द्वा सुपर्णा सयुजा ......(मं. 20),
अयं यज्ञो भुवनस्य नाभि ..... (मं. 35 ),
(5) श्रद्धा सूक्त ( 10/151)
मंत्र श्रद्धा की परिभाषा - श्रद्धा काम (संकल्प) की पुत्री है उसे कामायनी कहते हैं।
8 मंत्रों में वाक्तत्व, शब्दब्रह्म, शब्दतत्व, वाग्देवी का ब्रह्म के रूप में वर्णन है। वाक्तत्व सर्वत्र व्याप्त है। यह इन्द्र, अग्नि, सोम, मित्र, वरुण आदि की ऊर्जा का स्त्रोत है। यह राष्ट्रनिर्मात्री शक्ति है। पूरा सूक्त उत्तम पुरुष में (वाक् आम्भृणी) ऋषि द्वारा आत्मविवेचन के रूप में प्रस्तुत है।
4 मंत्रों में सामाजिक सौहार्द, सामंजस्य यह अस्तित्व, ऐकमत्य और संगठन का उपदेश है। यह सामाजिक, राष्ट्रीय और आर्थिक चिन्तन में समन्वय की भावना का प्रतिपादक है।
श्री सूक्त, (बालखिल्यमूक्त संख्या= 11 ऋग्वेद अष्टम मण्डल),
पवमानी सूक्त,
ब्रह्मसूक्त,
रात्रिसूक्त,
कृत्यासूक्त,
शिवसंकल्पसूक्त,
संज्ञान सूक्त,
महानाम्न सूक्त,
निविद अध्याय,
प्रेष अध्याय,
कुन्ताप मुक्त।
ऋग्वेद के ब्राह्मण कौनसे हे ?
१) ऐतरेय ब्राह्मण।
२) शांखायन ब्राह्मण।
(कौषीतकि ब्राह्मण )
ऋग्वेद के उपनिषद कोनसे हे ?
१) ऐतरेय उपनिषद।
२) कौषतकि उपनिषद।
३) वाष्कल उपनिषद्।
यहा पर सूक्त विभाग में चार प्रकार है -
● ऋषिसूक्त ।
● देवतासूक्त ।
● छन्दसूक्त ।
● अर्थ सूक्त ।
जहा एक ऋषि के दृष्ट मंत्रों का समूह हो वह ऋषि सूक्त कहलाता है । और जहा एक देवता से उद्देशित मंत्रो का समूह हो वह देवता सूक्त कहलाता है । और जहा समान छ्न्द के मंत्रो का समूह हो वह छंद सूक्त कहलाता है । ओर जहां एक अर्थ वाले मंत्रो का समूह हो वह अर्थ सूक्त कहलाता है ।
भारतीय वाङ्मय की ओर पाश्चात्य विद्वानों का ध्यान आकृष्ट करने का मुख्य श्रेय 'सर विलियम जोन्स' (1746-1794) को है । इन्होंने "रायल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल" की स्थापना (1784) में की है।
डॉ. कीथ- (ऐतरेय, कौषितकि इन दोनों का अंग्रेजी में अनुवाद) ।
ऋग्वेद में कोनसे दो प्रकार हे ?
१)मण्डलानुवाकवर्ग। और २)अष्टकाध्यायसूक्त।
बालखिल्य सूक्तो को छोड़कर सम्पूर्ण ऋग्वेद संहिता में दश(10) मण्डल है , पचाशी(85) अनुवाक है ओर दो सो आठ (208) वर्ग है । यह प्रथम भेद है ।
आठ(8) अष्टक , चौशठ(64) अध्याय , एक हजार सत्तर (1017) सूक्त यह दूसरा भेद है ।
शाकल के मत से ऋग्वेद की मंत्र संख्या दस हजार चार सौ सुनसठ(10467) है , ओर
शौनक आदि के मत से दस हजार पांच सौ अस्सी(10580) है । यहा पर कालभेद ओर मंत्र लोप या वृद्धि के भेद से भिन्नता है ।
ऋग्वेद में शब्द संख्या 153826 है ,
अक्षर संख्या 432000 और यहा पर सभी मंत्र चौदह छन्दों के भीतर ही विभक्त है ।
ऋग्वेद के मंत्र द्रष्टा ऋषि गृत्समद , विश्वामित्र , वामदेव, अत्रि , भारद्वाज , वशिष्ठ आदि है ।
ऋग्वेद के दस मंडलो मैं नौ वा मंडल पवमानमण्डल के नाम से प्रथित है । यहा पर ही सोमविषयक मंत्रो का कलन किया हुआ है । पवमान - सोम । ऊपर कहे गए मंत्र दृष्टा ऋषि गण ऋग्वेद के दूसरे मंडल से सातवे मंडल तक के है ओर यह भाग सर्वतः प्राचीन है । दशम मंडल अर्वाचीन है । बाकी बचे मंडल मध्य कालीन है ऐसा आलोचन कर्ताओं का कहना है ।
नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi)
स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत |
कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser. The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.