सामवेद का सम्पूर्ण परिचय :-
सामवेद का सम्पूर्ण परिचय :-
चलिए अब जानते है सामवेद के बारे मैं वेदों में क्रम से ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद चार वेद इस प्रकार है उनमें सामवेद तीसरे क्रम में आता है ।
सामवेद का मुख्य विवरण :-
- ऋत्विक :- उद्गाता।
- सामगान :- प्रस्ताव , उद्गीथ , प्रतिहार , उपद्रत , निधन।
- सामविकार :- वकार , विश्लेषण , विकर्षण , अभ्यास , विराम , स्तोम।
- शाखा :- सहसवर्त्मा सामवेद।
सामवेद की शाखा कोनसी हे ?
- कौथुमीय शाखा।
- जैमिनीय शाखा।
- राणायनीय।
सामवेद के ब्राह्मण कौनसे हे?
- प्रौढ़ ब्राह्मण।
- षडविंश ब्राह्मण।
- सामविधान ब्राह्मण।
- आर्षेय ब्राह्मण।
- देवताध्याय ब्राह्मण।
- उपनिषद् ब्राह्मण।
- संहितोपनिषद ब्राह्मण।
- वंश ब्राह्मण।
- जैमिनीय ब्राह्मण।
सामवेद के आरण्यक कौनसे हे ?
- तवल्रकार ( जैमिनीय )
- छान्दोग्य आरण्यक।
सामवेद के उपनिषद् कौनसे हे ?
- छान्दोग्य उपनिषद्।
- केनोपनिषद। .
यज्ञ के अन्दर चार ऋत्विज होते है १) होता २) अध्वर्यु ३) उद्गाता ४) ब्रह्मा । इनमे होता किसे कहते है?
1) होता :- देवताओ का आह्वान करने वाला जो यज्ञ के समय देवताओं की प्रशंसा मैं रचित मंत्रो का उच्चारण करके देवताओं का आह्वाहन करता है और इस कार्य के लिए संकलित मंत्र स्तुतिरुप ऋचः कहलाते है और ईनका संग्रह ही ऋग्वेद है
2) अध्वर्यु :- जो अध्वर्यु है वह विधीवत यज्ञ का सम्पादन कराता है उसके आवश्यक यजूंंषि कहे जाते है और उनका संग्रह यजुर्वेद है।
3) उद्गाता :- उच्च स्वर में मंत्रो का गान करने वाला जो स्वरबद्ध मंत्रो को लयबद्ध उच्च आवाज में गाता है उसके अपेक्षित मंत्रो का संग्रह सामवेद है।
4) ब्रह्मा :- यज्ञ का निरिक्षक यज्ञ मैं क्या कर्म हुआ कोनसा नही हुआ कब हुआ किनसा बाकी है वह सब ध्यान रखने का कार्य ब्रह्मा का होता है वह सभी प्रकार के मंत्रो का ज्ञाता होता है , ओर उसके अपेक्षित मंत्रराशि अथर्ववेद है ।
सामवेद मैं गान प्रचुर मात्रा में मिलता है , सामवेद मैं १५४९ मंत्र है , इनमे से ७५ मंत्र ऋग्वेद मैं नही मिलते बाकि सभी मंत्र दोनोमे साधारण है । सामवेद मैं जो मंत्र है उनके सात स्वर होते है इसी लिए उनको गाया जाता है , ऋग्वेद मैं इन्ही मंत्रो के तीन स्वर है यही इन दोनों के साधारण समान मंत्रो के भेद है ।
सामवेद कितने भागों में विभाजित है
1) पूर्वार्चिक
2) उत्तरार्चिक ।
● पूर्वार्चिक :- यही पूर्वार्चिक तीन नामो से बोला जाता है जैसे छंद , छंदसि , छंदसिका ये सभी इसके पर्याय शब्द है । विषय अनुसार यह चार भागों में विभाजित है १) आग्नेय पर्व , २) ऐन्द्र पर्व , ३) पवमान(सोम) पर्व , ४) आरण्यक पर्व
● उत्तरार्चिक :- यह भाग अनुष्ठान निर्देशक है यहा विभिन्न अनुष्ठान का निर्देशन किया गया है । इसके बहोत विभाग है उनमे से दशरात्र , संवत्सर , एकाहम , अहिनम , सत्र , प्रायश्चित , क्षुद्र आदि प्रमुख भेद है ।
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अब हम आगे संस्कृत भाषा मे सामवेद के बारेमे जानेंगें ।