अथर्ववेद का सम्पूर्ण परिचय
अथर्ववेद का सम्पूर्ण परिचय।
वैदिक इतिहास में महर्षी व्यास के वेद व्यास करने पर चार भागो में विभाजित वेद ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद इन में चौथा अथर्व वेद अभिचार क्रियाओ के प्राधान्य के कारण से अथर्व नामक ऋषि के दृष्ट होनेसे अथर्ववेद कहा गया।
अथर्ववेद वेद का विवरण :-
यहाँ अथर्व वेद में
ऋत्विक :- ब्रह्मा।
मंत्र :- शान्तिक , पौष्टिक।
उपाधि :- ब्रह्मवेद , अंगिरोवेद , द्वन्द्वोवेद ,
२० काण्ड ,
७३१ सूक्त ,
२९८७ मंत्र हे।
इन मंत्रो में से बारह्सो (१२००) मन्त्र ऋग्वेद में मिलते हे। अथर्व वेद के बिसवे (२०) कांड में १५३ सूक्त हे , उनमे बारह सूक्त छोड़ अन्य सभी सूक्त ऋग्वेद के दसवे मंडल में मिलते हे।
अथर्ववेद की कितनी शाखाए है ?
वैसे तो अथर्व वेद की नौ शाखाए हे, परन्तु अभी दो शाखा ही प्रचलित हे। वह इस प्रकार हे -
१ ) शौनक शाखा।
२ ) पिप्पलाद शाखा।
अन्य सात शाखा इस प्रकार हे -
१ ) मौदमहाभाष्य शाखा।
२ ) स्तौद शाखा।
३ )जाजल शाखा।
४ ) ब्रह्मवेद शाखा।
५ ) देवदर्श शाखा।
६ ) जलद शाखा।
७ ) चारण वैद्य शाखा।
इनमे भी प्रचलित शौनक शाखा ही ज्यादातर भागो में मिलती हे और जो दूसरी पिप्पालाद शाखा कही कहि मिलती हे।
अथर्ववेद के ब्राह्मण कितने हे ?
१ ) गोपथ ब्राह्मण।
क्या अथर्ववेद के आरण्यक हे ?
नहीं अथर्ववेद के आरण्यक नहीं हे।
अथर्ववेद के कितने और कोनसे उपनिषद हे ?
१ ) प्रश्न उपनिषद। .
२ ) मुण्डक उपनिषद।
३ ) माण्डूक्य उपनिषद।
चलिए अब संस्कृत भाषा में अथर्ववेद का परिचय प्राप्त करते हे।