ऋग्वेद के अन्य प्रमुख देवता
रुद्र
ऋषि- गृत्समद, सूक्त- 3,
प्रमुख सन्दर्भ -
- ‘तद् यद् रोदयन्ति, तस्माद् रुद्रा इति- बृहदारण्यक ।
- इनके हाथ- मृणयाकु (सुखदेने वाले), जलाष- (शीतलता प्रदान करने वाले), भेषजः- (आरोग्यता प्रदान करने वाले) है।
- ये मरुतों का पिता कहलाते हैं,
- ये देवताओं के कुशल वैद्य भी है।
विशेषण- वभ्रु, सुशिप्र, रक्तवर्णी, असुर (प्राणशक्ति सम्पन्न), सिकृवृण, कृपाण, विद्युत, शस्त्र, पिनाक, त्र्यम्बक, कृत्तिवास, नीललोहित, भव, शर्व, मरुत्पिता, शितिकण्ठ असुर, मरुत्वान्, मीढ़वान, तव्यान, वङ्कु, भिषक्तम्, जलाषभेषज, रक्तवर्णी, मृणयाकुः वनपति, वृक्षपति, सेनानी, गणपति, शिव, शंकर, शंभु ।
- अथर्ववेद में पर्यायवाची भव, शर्व, यम, मृत्यु, बभ्रु, नीलकंठ,
- यजुर्वेद में पर्यायवाची - गिरीश, नीलग्रीव, सहस्त्राक्ष, पशुपति, जगत्पति, क्षेत्रपति, पशुपति ।
बृहस्पति
ऋषि- वामदेव, सूक्त- 11
प्रमुख सन्दर्भ -
- अपर नाम ब्रह्मणस्पति (ब्रह्मा)
- मत्र या प्रार्थना का अधिपति ।
- अग्नि के प्रतीक बृहस्पति ।
- ये शक्तिपुत्र एवं अंगिरस आवासों के अधिपति- सदस्पति कहलाते हैं।
- इन्हें तीक्ष्ण, सीगोवाला (तीक्ष्णभृंग), तथा शतपखो वाला कहा है।
विशेषण - मध्यस्थ, वज्रिन, गोपाः, सगोपाः, सुनीतभिः गणपति, ब्रह्मणस्पति, पथिकृत, मन्द्रजिह्न, तीक्ष्णश्रृंग, सप्तमुख, सप्तरश्मि, सप्तजिह्व, नीलपृष्ठ ।
अश्विनौ
ऋषि- कक्षीवान्
प्रमुख सन्दर्भ
- 5 से अधिक सूक्तों में स्तुति की गई है ।
- यास्क के अनुसार इनका काल अर्धरात्रि से सूर्य पर्यन्त है।
- द्युस्थानीय अश्विन् युगल देवता है।
- सूर्या का पति- अश्विनौ।
- मुख्य किये गये कार्य- 'भिज्यु' का समुद्रतल से उद्धार, 'तदेर्गु' को अश्वप्रदान। 'अत्रि' की गुफा से मुक्ति । 'च्यवन' ऋषि को युवावस्था।
विशेषण- नासत्या, दस्त्रा, हिरण्यवर्त्तनि, दिवो नपाताः, माध्वी नराः, मधुमुखा, सुदानू मघवाना तोविष्मा, अध्रिगू, दिव्यभिषक् ।
विष्णु
ऋषि - दीर्घतमा (तीन पद स्वरूप)
प्रमुख सन्दर्भ
'वेवेष्टि व्याप्नोति इति विष्णुः' ।
उरुगाय- महान पुरुषों से स्तुतिवान, उत्तरम्- उत्कृष्ट, भीम - भयानक, उरुषु - विस्तीर्ण, शूषम्- बल।
विशेषण- उरुक्रम, उरुगाय, कुचर, गिरिष्ठा, वृष्णः, गिरिक्षित, विक्रम, त्रिविक्रम, भीम, त्रिषधस्थ, भीम, उपेन्द्र, गर्वरक्षक ।
सोम
ऋषि - कण्व
प्रमुख सन्दर्भ
- ऋग्वेद का नवम मण्डल पवमान सोम।
- सोम का अर्थ परमात्मा भी लिया गया है।
विशेषण- मौञ्जवत, वनस्पति, वाचस्पति, विश्वचर्षणि, रक्षाहा, वृत्रहन्तम, महिष्ठ, अमर्त्य, सहस्त्रधार, इन्द्रपीत पवमान, मधुमान, अमृत, शुद्ध, शुक्र, शुचि, दिवः शिशु उत्तम हविः, औषधिपति, वृत्रहन्ता।
सवितृ (गार्ल्समद )
प्रमुख सन्दर्भ
- सवितृ देव के नाम का उल्लेख हुआ है- 170 बार।
- सविता- संसार को जन्म देने वाला और प्रेरणा और स्फूर्ति देने वाला।
- सविता स्वर्णिम देवता है।
- याज्ञवल्क्य ने यजुष प्राप्त करने दीर्घायुष्य के लिए इसकी उपासना की थी। (ऋताधिपति)
- इसे लौह-जबड़ों वाला भी कहा गया है।
- गायत्री मंत्र के उपास्य देव सविता।
- ये जङ्गम तथा स्थावर सभी के शासक हैं।
- यह 'प्रदोष' और 'प्रत्यूष' से सम्बद्ध है ।
- सविता के लिये प्रयुक्त क्रियायें प्रासवीत, आसुवत्, सवे, साविषत आदि।
विशेषण- आदित्य, सविता, महेन्द्र, वायु, अर्यमा, वरुण, रुद्र, अग्नि, महायम, असुर, हिरण्यपाणि, सुवर्ण, सुनीथ, हिरण्यादा, हिरण्यस्तूप, विचर्षणि, सुमृळीक, दमूना, स्वर्णनेत्र, स्वर्णहस्त, स्वर्णपाद, स्वर्णजिम।