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संस्कृत-ज्ञानस्य अनुक्रमणिका

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संस्कृत-ज्ञानस्य अनुक्रमणिका

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श्री बृहस्पति देव (बृहस्पतिवार की आरती ) जी की आरती

श्री बृहस्पति देव (बृहस्पतिवार की आरती ) जी की आरती

श्री बृहस्पति देव (बृहस्पतिवार की आरती ) जी की आरती 


आरती क्या है और कैसे करनी चाहिए? प्रमुख देवी-देवताओ की आरतीया अनुक्रमणिका


श्री बृहस्पति देव ( बृहस्पतिवार की आरती )

श्री बृहस्पति देव (बृहस्पतिवार की आरती ) जी की आरती

ॐ जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा ।

छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥ 

ॐ जय बृहस्पति देवा ।


तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥

 ॐ जय बृहस्पति देवा ।


चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता । 

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥ 

ॐ जय बृहस्पति देवा ।


तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े । 

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े ॥ 

ॐ जय बृहस्पति देवा ।


दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी । 

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी || 

ॐ जय बृहस्पति देवा ।


सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो। 

विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥ 

ॐ जय बृहस्पति देवा ।


जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे ।

जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥




मम विषये! About the author

ASHISH JOSHI
नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi) स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत | कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910

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