आरती क्या है और कैसे करनी चाहिए? प्रमुख देवी-देवताओ की आरतीया अनुक्रमणिका
श्री शनि देव (शनिवार की आरती )
!! जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी,
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी,
नालाम्बर धार नाथ गज की अवसारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी,
मुक्त की माला गले शोभित बलिहारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी,
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
!! दे दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी,
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी,
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !!
ॐ शं शनिश्चराय नमः
श्री शनि देव ( चार भुजा तहि छाजै )
चार भुजा तहि छाजै, गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ||
रवि नन्दन गज वन्दन, यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते, करते तब सेवा ||
जय शनिदेव जी ||
तेज अपार तुम्हारा, स्वामी सहा नहीं जावे |
तुम से विमुख जगत में, सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ||
नमो नम: रविनन्दन सब ग्रह सिरताजा |
बन्शीधर यश गावे रखियो प्रभु लाजा ||
जय शनिदेव जी ||