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संस्कृत-ज्ञानस्य अनुक्रमणिका

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जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी - श्री शनिदेवजी की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी - श्री शनिदेवजी की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी - श्री शनिदेवजी की आरती




श्री शनिदेव
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी - श्री शनिदेवजी की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी | 

सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥ 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥ 


श्याम अंग वक्र-दृष्टि  चतुर्भुजा धारी | 

निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी || 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥ 


क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी 

मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी || 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥ 


मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी । 

लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी॥ 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥ 


देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी । 

विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी || 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥





मम विषये! About the author

ASHISH JOSHI
नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi) स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत | कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910

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