अम्बे तू है जगदम्बे काली-श्री दुर्गा माताजी की आरती

 अम्बे तू है जगदम्बे काली-श्री दुर्गा माताजी की आरती

आरती क्या है और कैसे करनी चाहिए? प्रमुख देवी-देवताओ की आरतीया अनुक्रमणिका


श्री दुर्गा माता

अम्बे तू है जगदम्बे काली-श्री दुर्गा माताजी की आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, 

तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती । 


तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी 

दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी ||

 सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली, 

दुष्टों को तू ही ललकारती । 

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती || 


माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता| 

पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता || 

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,

दुखियों के दुखड़े निवारती ।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥ 


नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना। 

हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना || 

सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली, 

सतियों के सत को संवारती । 

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥


चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली । 

वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली || 

माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, 

भक्तों के कारज तू ही सारती । 

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ||