Kalidaso jane jane - sanskrit song

कालिदासो जने जने कण्ठे कण्ठे संस्कृतम् । ग्रामे ग्रामे नगरे नगरे गेहे गेहे संस्कृतम् ॥

Kalidaso jane jane - sanskrit song


यह 'कालिदासो जने जने' संस्कृत गीत बहोत ही उत्साह वर्धक और प्रेरणा दायी हैै। ईस संस्कृत गीत मे संस्कृत भाषा को जन जन की भाषा बताई है ..

Kalidaso jane jane - sanskrit song

तो आईये देखते है 'कालिदासो जने जने संस्कृत गीत' -

कालिदासो जने जने गीतम् :-


कालिदासो जने जने
 कण्ठे कण्ठे संस्कृतम् ।
 ग्रामे ग्रामे नगरे नगरे 
गेहे गेहे संस्कृतम् ॥ 
कालिदासो .... || 
सरला भाषा मधुरा भाषा (२) 
 दिव्या भाषा संस्कृतम् ।। कालिदासो ..।।
 मुनिजनवाणी कविजनवाणी 
बुधजनवाणी संस्कृतम् ।। कालिदासो .. ||
 सद्व्यवहारे कार्यक्षेत्रे 
वार्तालापे संस्कृतम् ॥ कालिदासो .. ।।
 जने जने रामायणचरितं 
प्रियजनभाषा संस्कृतम् ॥ कालिदासो ..॥
 स्थाने स्थाने भारतदेशे
 सदने सदने संस्कृतम् ॥ कालिदासो ..॥

Kalidaso jane jane sanskrit song mp3 :-

पठ्यतां हि संस्कृतम् :-

 पठ्यतां हि संस्कृतं ज्ञायतां नु वाङ्मयम् । 
संस्कृतस्य पाठनाय दीयतां स्वजीवनम् ॥ 
प्रेमशुद्धिसम्प्लुतं त्यागसलिलवधितं 
कष्टकोटिपावितं स्वार्थरहितचेष्टितम् । 
अचललक्ष्यकेन्द्रितं सकलशीलभूषितं 
राष्ट्रधर्मरक्षणाय स्यान्मदीयजीवनम् ॥१ ॥   पठ्यताम् ।। परोपदेशवर्जकं परोपकारकारकं
 द्वेषदोषनाशकं क्रोधमोहलोपकम् ।
 स्नेहभावगुम्फितं क्षात्रवीर्यपूरकं
 ऐक्यबन्धवर्धनाय स्यान्मदीयजीवनम् ॥२ ॥ पठ्यताम् ।। जातिभेदवारकं दीनदलितसेवकं
 स्वाभिमानपोषकं सामरस्यसाधकम् ।
 ज्ञानविनयसंयुतं विपुलगुणगणान्वितं
 लोकशक्तिवर्धनाय स्यान्मदीयजीवनम् ॥३ ॥ पठ्यताम् ।। 
जीवनस्य वाञ्छितं संस्कृतस्य वैभवं
 मामकीनयौवनं संस्कृतार्थमर्पितम् ।
 नैव किमपि सञ्चितं नास्ति किमपि काङ्कितं 
संस्कृतप्रसारणाय स्यान्मदीयजीवनम् ॥ ४॥ पठ्यताम् ॥

अहं प्रभाते उत्तिष्ठामि :-

 अहं प्रभाते उत्तिष्ठामि
 मातापितरौ प्रणमामि । 
देवान् भक्तवरेण्यान् नत्वा 
पठने मतिं विधास्यामि ॥ 
विना विलम्बं शालां गच्छन् 
पाठ्यांशान् अवगच्छामि । 
सर्वान् विषयान् सम्यगधीत्य
 बुद्धिविशदतां प्राप्नोमि ।। 
शिष्टाचारान् साधुविचारान् 
वृद्धिकरान् आकलयामि । 
विद्याभ्यासाचारविचारैः 
सर्वश्रेष्ठतां विन्दामि । 
                   - जनार्दन हेगडे

वर्णमालां पठ बाल :-


अ आ अक्षर - मालाम् 
आदरेण बाल । 
इ ई इत आगच्छ 
ईशं शरणं गच्छ ॥
 उऊ उद्गिर स्पष्टम् 
ऊहित्वा रेखाम् । 
ऋ ऋ ऋषिसुरगणः
 नृणां वन्द्यः प्रथमम् ॥ 
ए ऐ एहि जनानाम् 
ऐक्यं साधय सततम् । 
अं अः राष्ट्रियभावं
 साधयाम नित्यम् ।। 
                    - गु . गणपय्यहोळळ :

अद्य जन्मदिने ते :-


लल्ल लला लला लला लला लालला 
शुभचिन्तनमस्तु अद्य जन्मदिने ते
 जन्मदिने नृत्यामो गायाम : ते ॥ 
दिने दिने वर्धस्व आप्नुहि यश : 
तव मार्गे अस्तु सदा धवलप्रकाशः । 
आशीर्युक्तः हस्त : मस्तके ते ॥
 सर्वेषाम् आशीरद्य सुखं प्राप्नुहि
 सद्गुणसम्पद् विलसतु सर्वदा त्वयि 
अभिनन्दनमस्तु अद्य जन्मदिने ते ।।
 आयुष्मन् शतं जीव चिरंजीव रे
 लोकमित्रमिति कीर्तिस्तव सदास्तु रे
 निरामयं निर्व्याजं हसितमस्तु ते ॥
                   - ( सं ) लक्ष्मीकान्त जाम्बोरका

ओतो ओतो संस्कृत गीत :-


 ओतो ओतो मोहन केतो क्वनु खलु यातोऽसि 
आहूतोसि नासिकुतोसि आखं गृह्णासि आ 555 
कोष्ण क्षीरं तवोपनीतम् आगच्छागच्छ 
आगन्तुं ते नेच्छति चित्तं वाञ्छसि किं ब्रूहि आ 555 
गेहे गेहे दधिनवनीते खादसि चौर्येण 
पायं पायं पयस : पूरं पूरितमुदरं ते आ 555

 ईस तरह यहा पर दीव्या , मधुरा , प्रियजन भाषा भारत देश मैं हर तरफ सभीके मुख पर वीलास करती रहे एसी भावना इस 
संस्कृत गीत मै प्रेरित कर रहे हैं।

ईसे एक बार mp3 song मे जरूर सुने बहोत आनंद आयेगा



आशा है कि यह आपको उपयोगी लगे तो ईसे विस्तारित अवश्य करे ।


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मम विषये! About the author

ASHISH JOSHI
नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi) स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत | कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910

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