गाइये गनपति जगबंदन गणेश स्तुति ( तुलसीदास जी विनय पत्रिका)

गाइये गनपति जगबंदन गणेश स्तुति ( तुलसीदास जी विनय पत्रिका)

 गाइये गनपति जगबंदन गणेश स्तुति ( तुलसीदास जी विनय पत्रिका)


श्री गणेश स्तुति ( तुलसीदास जी विनय पत्रिका)

आरती क्या है और कैसे करनी चाहिए? प्रमुख देवी-देवताओ की आरतीया अनुक्रमणिका

श्लोक

ॐ गजाननं भूतागणाधि सेवितम्,
कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्।
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्||

स्तुति

गाइये गनपति जगबंदन गणेश स्तुति ( तुलसीदास जी विनय पत्रिका)

गाइये गनपति जगबंदन।

संकर सुवन भवानी नंदन ॥ 1 ॥

गाइये गनपति जगबंदन।


सिद्धि- सदन, गज बदन, बिनायक |

कृपा - सिंधु, सुंदर सब-लायक ॥ 2 ॥

गाइये गनपति जगबंदन।


मोदक - प्रिय, मुद-मंगल - दाता।

बिद्या-बारिधि, बुद्धि बिधाता ॥ 3 ॥

गाइये गनपति जगबंदन।


मांगत तुलसिदास कर जोरे ।

बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ 4 ॥

गाइये गनपति जगबंदन।


मम विषये! About the author

ASHISH JOSHI
नाम : संस्कृत ज्ञान समूह(Ashish joshi) स्थान: थरा , बनासकांठा ,गुजरात , भारत | कार्य : अध्ययन , अध्यापन/ यजन , याजन / आदान , प्रदानं । योग्यता : शास्त्री(.B.A) , शिक्षाशास्त्री(B.ED), आचार्य(M. A) , contact on whatsapp : 9662941910

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